Noumena Nomad

Zaheen Lakhanvi

Zaheen Lakhanvi

सर्टिफाइड बकैत

कंटेंट कविता और किताब

उसने एक रोज़ मुझसे कहा कि अगर लॉकडाउन के दिनों में जो भी बातें हमने की, उनको रिकॉर्ड करते तो अच्छा पॉडकास्ट बन सकता था। आज जब उससे बात नहीं होती तब उसकी बात याद आ रही है। ये मेरे…

लफ़ड़ों से रत्ती भर दूर रह गए लफ़ड़े – निर्मल वर्मा विशेष

‘लफ़ड़ा’, क्या ख़ूबसूरत लफ़्ज़ है! ‘फ़’ और ‘ड़’ के टकराने से जो आवाज़ पैदा हो रही है वो इस बात की तरफ़ इशारा कर देती है कि मामला गम्भीर है। लफ़ड़ा शब्द बचपन की स्मृतियों से जितना याद कर पाता…